• एफआईआर खारिज करने के लिए दर्ज की थी याचिका
आगरा। फर्जी शस्त्र लाइसेंस और अवैध शस्त्रों की खरीद फरोख्त के मामले में एसटीएफ की जांच के बाद नाई की मंडी थाने में दर्ज हुए मुकदमे में राहत लेने के लिए आरोपी टीवी पत्रकार शोभित चतुर्वेदी हाईकोर्ट गए थे। हाईकोर्ट ने इस मामले में एफआईआर रद्द करने से इनकार करते हुए याचिका खारिज कर दी है। कोर्ट ने यह टिप्पणी भी की है कि बड़े अधिकारियों की सहमति व लिपिक से मिली भगत कर शस्त्र लाइसेंस नहीं लिया जा सकता। याचिका खारिज होने के बाद आरोपियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।
नाई की मंडी थाने में धोखाधड़ी और आर्म्स एक्ट की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। मुकदमे में चर्चित मोहम्मद जैद, नेशनल शूटर मोहम्मद अरशद, राजेश कुमार बघेल, भूपेंद्र, टीवी पत्रकार शोभित चतुर्वेदी और सेवानिवृत्त असलहा बाबू संजय कपूर नामजद हैं। इंस्पेक्टर यतींद्र शर्मा को एसटीएफ मुख्यालय लखनऊ से इस मामले की जांच दी गई थी। कई महीने जांच चली। आरोप है कि आरोपियों ने जांच के दौरान सहयोग नहीं किया। कागजात मुहैया नहीं कराए। इंस्पेक्टर एसटीएफ ने अपनी जांच में यह आशंका जाहिर की कि यह मामला अवैध हथियारों की खरीद फरोख्त का है। हथियारों की तस्करी और कारतूस घोटाले के लिए शूटिंग खिलाड़ी बनाए जाते हैं। मुकदमे में सभी आरोपियों पर अलग-अलग आरोप हैं।
चर्चित मोहम्मद जैद पर आरोप है कि उन्होंने वर्ष 2003 में शस्त्र लाइसेंस बनवाया। शपथ पत्र में अपनी जन्मतिथि 1975 दर्शायी। जबकि अन्य प्रमाणपत्रों में उनकी जन्मतिथि 1972 है। नेशनल शूटर अरशद खान के पास पांच लाइसेंस हैं। उन पर आरोप है कि प्रपत्रों में कम उम्र दर्शाकर खुद को कुशल निशानेबाज दर्शाया था ताकि आराम से शस्त्र लाइसेंस बन सकें। उन पर आरोप है कि उन्होंने सभी शस्त्रों की खरीद से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए।
राजेश कुमार बघेल पर आरोप है कि उनके लाइसेंस से संबंधित पत्रावली ही नहीं मिली। उसी लाइसेंस पर शस्त्र क्रय करके चढ़वाया गया। जो शस्त्र लाइसेंस पर चढ़ा है उसकी खरीद से संबंधित कोई कागजात मुहैया नहीं कराया गया। उनके शस्त्र लाइसेंस बनवाने और गुम होने की जांच के दौरान शस्त्र क्रेता शोभित चतुर्वेदी का नाम प्रकाश में आया।
शोभित चतुर्वेदी पर एक और आरोप है। उन्होंने फर्जी शपथपत्र दिया। उनके पास टिहरी उत्तराखंड से जारी एक लाइसेंस था। यह बात उन्होंने दूसरा लाइसेंस बनवाने के दौरान छिपाई। जन्म का मूल स्थान लखनऊ के बजाए आगरा दर्शाया। शोभित चतुर्वेदी द्वारा बरैठा की पिस्टल शिव कुमार सारस्वत से बिना किसी प्रपत्र के क्रय की। जांच के दौरान दस्तावेज नहीं दिखाए।
भूपेंद्र सारस्वत पर आरोप है कि वह 21 साल के नहीं थे इसके बावजूद शस्त्र लाइसेंस था। उक्त लाइसेंस वर्ष 2016-2017 में गुम होना बताया। आरोपित ने थाने में दर्ज गुमशुदगी के कागज नहीं दिए। पहले लाइसेंस की छायाप्रति तक उपलब्ध नहीं कराई। पूरी जांच में असलहा बाबू संजय कपूर को भी आरोपित पाया गया। वह स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके हैं। उन पर कूट रचना, तथ्यों को छिपाना, असत्य शपथ पत्र प्रेषित करने का आरोप है।
विवेचना एसटीएफ को ट्रांसफर हो गई है। इंस्पेक्टर हुकुम सिंह विवेचना कर रहे हैं। इधर टीवी पत्रकार शोभित चतुर्वेदी ने हाई कोर्ट में राहत लेने के लिए याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया है।
कोर्ट ने कहा आवेदन में गलत जानकारी प्रस्तुत करने के कारण हम आरोपित के खिलाफ एफआईआर रद्द करने या चल रही जांच को रोकने के लिए इच्छुक नहीं है। इतनी छूट जरूर दी है कि याची जमानत अथवा अग्रिम जमानत के लिए सक्षम अदालत में अर्जी दायर कर सकता है।